आपका एक बार फिर से स्वागत है हिंदीवाले४u ke एक और नए लेख में, आज हम जिस व्यक्ति का जीवन परिचय करने जा रहे है उसका नाम है ऋतुराज गायकवाड, तो चलिए बिना किसी देरी शुरू करते है।
दरसल इस कहानी की शुरुआत होती है Oxford Of India ke नाम से मशहूर महाराष्ट्र के पुणे शहर से, जब 31 January 1997 के दिन दशरथ गायकवाड के घर एक बेटे का जन्म होता है, और उस बेटे का नाम रखा जाता है ऋतुराज दशरथ गायकवाड , ऋतुराज के पिता पेशे से एक डिफेंस ऑफिसर है और माता सविता गायकवाड पुणे के municipality के स्कूल में टीचर है।
वैसे तो ऋतुराज के घर में किसी को भी स्पोर्ट्स में इंटरेस्ट नहीं था लेकिन ऋतुराज ने अपने घरवालों को मनाया और क्रिकेट को ही अपना प्रोफेशन बनाने की ठान ली थी, और उसके परिवारवालों भी उसके है दौर में इसका साथ दिया चाहे परिस्थितियां कैसी भी रही हो मगर ऋतुराज के घरवालों उसका हमेशा साथ ही दिया।
दरअसल २००३ में जब Nezealand की टीम जब भारत के दौरे पर आई थी ,तब b macculam की बैटिंग से प्रभावित होकर उनपर क्रिकेट का जुनून सवार हो गया था और उन्होंने अपने मन में ही ठान लिया था की वो खुद भी एक बेहतर बल्लेबाज बनकर दिखाएंगे।
रुतुराज ने क्रिकेट करियर की शुरुआत 11 साल की उम्र में वेंगसरकर क्रिकेट अकादमी से की थी, और उसके बाद ही उन्होंने महाराष्ट्र u-16 टीम से क्रिकेट खेलना स्टार्ट करदिया ।
यह बंदा ११ साल की छोटी से उम्र से ही घंटो क्रिकेट के मैदान में बैटिंग प्रैक्टिस करता था , की जैसे इसे इस दुनिया का बेहतरीन बल्लेबाज बनने का लक्ष्य पाकर जो दिखाना था, क्रिकेट में अपना फोकस होने की वजह से इस बंदे को अपने करीबी लोगो से बहुत ताने सुनने को मिलते थे, मगर लोगो के तानों से ना तो खुद पर कुछ फर्क पड़ा ना इसके घरवालों पर।
ऋतुराज अपने सपने के लिए मानो पागल हो गया था , उसका क्रिकेट से बहुत गहरा नाता जुड गया था बस दिन रात उसे अपना सपना ही दिखाई दे रहा था , क्युकी वो जनता था उसे इस मेहनत का फल एक न एक दिन मिलकर ही रहेगा।
ऋतुराज को महाराष्ट्रा की टीम और से अंडर 14 और अंडर 16 का मैच खेलने का मौका मिल ही गया था लेकिन उस समय उन्होंने कुछ खास नहीं कर सके और हाथ में आते इस मौके से चूक गए, मगर जी इतनी जल्दी हर मन जाएं वो मराठी ही कैसा एक बार फिर से ऋतुराज ने मेहनत कि जिसके कारण महाराष्ट्रा के under 19 टीम में उन्होंने कोच बिहार ट्रॉफी में दूसरे नंबर के बल्लेबाज के रूप में मौका मिला गया। जिसमें खेलते हुए ऋतुराज गायकवाड़ ने केवल 6 मैचों में 826 रन बनाए। और अगले साल यानी 2016 – 2017 में भी ऋतुराज ने 6 मैचों में 875 रन बनाए थे, और अपने चयन को सही साबित कर दिया था। और देखते ही देखते ऋतुराज महाराष्ट्र की domestic सर्कल का जाना माना नाम बन गया। जिसके कारण ऋतुराज ने महाराष्ट्रा के सीनियर टीम में अपनी जगह बना ली थी Ruturaj Gaikwad उनका पहला फर्स्ट क्लास मैच महाराष्ट्रा की ओर से रणजी ट्रॉफी 2016 – 2017 में ही खेल डाला।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था अपने पहले ही रणजी ट्राफी मैच में उन्हे बैटिंग करते वक्त चोट लग गई और उन्हें पूरे सीजन मैदान से बाहर रहना पड़ा था , अगर कोई दूसरा बंदा यहा पर होता तो अंदर से टूट चुका होता मगर ऋतुराज ने बिलकुल भी हार नहीं मानी और एक बार फिर से मेहनत की और ऋतुराज ने विजय हज़ारे ट्रॉफी में 2 फरवरी 2017 को लिस्ट A क्लास में डेब्यू किया और अपने पहले ही मैच में हिमाचल प्रदेश के खिलाफ 132 रनों की शानदार पारी खेल डाली। विजय हजारे ट्रॉफी में 7 मैचों में 444 रन बनाकर तीसरे सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बने। और अपनी टीम के हीरो बन गए।
अक्टूबर 2019 में देवधर ट्रॉफी के लिए ऋतुराज को India B टीम में चुन लिया गया और इनके अच्छे प्रदर्शन को देखकर इन्हें दिसंबर 2018 में ACC Emerging Teams Asia Cup के लिए चुना गया।
1 Comments
Nice post 📯
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